1. संचार के साधन:
पहले: चिट्ठियों का इंतज़ार, ट्रंक कॉल की लंबी कतारें।
अब: व्हाट्सएप पर पल भर में बात, वीडियो कॉल पर आमने-सामने।
2. मनोरंजन के तरीके:
पहले: आकाशवाणी पर समाचार, दूरदर्शन पर चित्रहार।
अब: नेटफ्लिक्स पर वेब सीरीज़, यूट्यूब पर लाखों वीडियो।
3. खरीदारी का अंदाज़:
पहले: बाज़ार की रौनक, दुकानदार से मोल-भाव।
अब: अमेज़न पर क्लिक, सामान घर बैठे।
4. शिक्षा का माहौल:
पहले: ब्लैकबोर्ड पर चौक की आवाज़, गुरुजी की डाँट।
अब: ऑनलाइन क्लासेस, डिजिटल किताबें।
5. खान-पान की आदतें:
पहले: घर का बना खाना, त्योहारों पर खास पकवान।
अब: ज़ोमैटो से खाना मंगवाना, कैफे में दोस्तों के साथ पार्टी।
6. फैशन का ट्रेंड:
पहले: सिंपल सलवार सूट, बालों में चोटी।
अब: रिप्ड जींस, स्टाइलिश हेयरकट।
7. यात्रा के साधन:
पहले: साइकिल, बस का सफर।
अब: प्लेन से घूमना, मेट्रो का आराम।
8. बच्चों के खेल:
पहले: गिल्ली-डंडा, कंचे, लुका-छिपी।
अब: मोबाइल गेम्स, वीडियो गेम्स।
9. शादी-ब्याह की रस्में:
पहले: सादगी भरा माहौल, परिवार के साथ मिलन।
अब: डेस्टिनेशन वेडिंग, थीम पार्टी।
10. काम करने का तरीका:
पहले: ऑफिस जाना, फाइलों का ढेर।
अब: वर्क फ्रॉम होम, ईमेल पर बातचीत।
11. स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता:
पहले: "जो होगा देखा जाएगा" वाला रवैया, डॉक्टर के पास जाने में झिझक।
अब: योग, जिम, हेल्दी डाइट, रेगुलर चेकअप।
12. डेटिंग का तरीका:
पहले: पार्क में मुलाकात, चिट्ठियों में प्यार का इज़हार।
अब: टिंडर पर स्वाइप, ऑनलाइन चैट में दिल की बात।
13. शादी की उम्र:
पहले: 20 की उम्र में शादी, जल्दी घर बसाना।
अब: 30 की उम्र में भी सिंगल, करियर को प्राथमिकता।
14. समाचार जानने का ज़रिया:
पहले: सुबह अखबार का इंतज़ार, शाम को दूरदर्शन पर समाचार।
अब: मोबाइल पर न्यूज़ ऐप, सोशल मीडिया पर अपडेट्स।
15. पैसे का लेन-देन:
पहले: जेब में नकदी, बैंक में चेक जमा करना।
अब: पेटीएम, गूगल पे, ऑनलाइन ट्रांसफर।
16. बच्चों की परवरिश:
पहले: संयुक्त परिवार में रहना, दादा-दादी का साथ।
अब: न्यूक्लियर फैमिली, डे केयर और नैनी का सहारा।
17. फोटो खींचने का शौक:
पहले: कैमरे में रील, फोटो स्टूडियो में जाना।
अब: मोबाइल से सेल्फी, इंस्टाग्राम पर शेयर।
18. शादी में दहेज:
पहले: दहेज एक प्रथा, लड़की वालों पर बोझ।
अब: दहेज विरोधी कानून, जागरूकता बढ़ी।
19. लड़कियों की आज़ादी:
पहले: घर की चारदीवारी, पढ़ाई-लिखाई पर पाबंदी।
अब: लड़कियां हर क्षेत्र में आगे, खुद के फैसले लेने में सक्षम।
20. त्योहार मनाने का तरीका:
पहले: घर पर पूजा-पाठ, पड़ोसियों के साथ मिलन।
अब: मॉल में शॉपिंग, दोस्तों के साथ पार्टी।
21. शौक पूरे करने का तरीका:
पहले: किताबें पढ़ना, रेडियो सुनना, घर पर ही कुछ न कुछ करना।
अब: यूट्यूब पर ट्यूटोरियल देखना, ऑनलाइन कोर्स करना।
22. बड़ों का सम्मान:
पहले: पैर छूकर आशीर्वाद लेना, बड़ों की बात मानना।
अब: कई बार पीढ़ियों के बीच मतभेद, अपनी बात रखने की ज़िद।
23. दोस्ती का मतलब:
पहले: दिल से दिल का रिश्ता, साथ बिताए पल।
अब: सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स, लाइक्स और कमेंट्स।
24. शारीरिक श्रम:
पहले: खेतों में काम, घर के काम में हाथ बँटाना।
अब: मशीनों का इस्तेमाल, शारीरिक मेहनत कम।
25. शादी के बाद लड़की का सरनेम:
पहले: लड़की शादी के बाद पति का सरनेम अपना लेती थी।
अब: कई लड़कियां अपना सरनेम रखना पसंद करती हैं, या दोनों सरनेम जोड़ लेती हैं।
26. पर्यावरण के प्रति सजगता:
पहले: प्लास्टिक का धड़ल्ले से इस्तेमाल, प्रदूषण की अनदेखी।
अब: कपड़े के थैले, रीसाइक्लिंग, इलेक्ट्रिक गाड़ियों की शुरुआत।
27. जेंडर रोल्स:
पहले: लड़का कमाए, लड़की घर संभाले, ये आम धारणा थी।
अब: लड़कियां भी आर्थिक रूप से स्वतंत्र, घर के काम में बराबरी की भागीदारी।
28. शारीरिक बनाम मानसिक स्वास्थ्य:
पहले: सिर्फ शारीरिक बीमारी पर ध्यान, मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी।
अब: मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात, थेरेपी लेने में हिचक नहीं।
29. धार्मिक कट्टरता:
पहले: धर्म के नाम पर अंधविश्वास, सांप्रदायिक तनाव।
अब: धर्म को व्यक्तिगत मामला मानना, सहिष्णुता की कोशिश।
30. राजनीतिक भागीदारी:
पहले: राजनीति में आम आदमी की कम भागीदारी।
अब: सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी बात रखना, चुनावों में बढ़ती जागरूकता।
31. सेक्स एजुकेशन:
पहले: सेक्स को टैबू मानना, बच्चों से इस बारे में बात नहीं करना।
अब: स्कूलों में सेक्स एजुकेशन, जागरूकता बढ़ाने की कोशिश।
32. LGBTQ+ समुदाय के प्रति नज़रिया:
पहले: इस समुदाय को स्वीकार नहीं करना, भेदभाव।
अब: समलैंगिक विवाह को मान्यता, अधिकारों की लड़ाई जारी।
33. वैश्वीकरण का प्रभाव:
पहले: सीमित विदेशी उत्पाद, अपनी संस्कृति से जुड़ाव।
अब: ग्लोबल ब्रांड्स का बोलबाला, संस्कृतियों का मिश्रण।
34. कला और साहित्य:
पहले: क्लासिकल संगीत, साहित्य की गहराई।
अब: फ़्यूज़न म्यूज़िक, डिजिटल कविता, वेब सीरीज़ का दौर।
35. कृषि के तरीके:
पहले: परंपरागत खेती, बैलों का इस्तेमाल।
अब: मॉडर्न तकनीक, ट्रैक्टर, जैविक खेती की ओर रुझान।
36. सौंदर्य के मापदंड:
पहले: गोरे रंग, पतले शरीर को सुंदर माना जाता था।
अब: हर रंग, हर आकार की खूबसूरती को सराहा जाता है।
37. पालतू जानवर:
पहले: कुत्ता-बिल्ली पालना आम बात थी।
अब: विदेशी नस्ल के कुत्ते, पक्षी, और भी कई जानवर पालने का शौक।
38. तलाक:
पहले: तलाक को सामाजिक कलंक माना जाता था।
अब: तलाक आम होता जा रहा है, खुशहाल ज़िंदगी की तलाश।
39. एकल परिवार का चलन:
पहले: संयुक्त परिवार में रहना आदर्श माना जाता था।
अब: एकल परिवार ज़्यादा, अपनी शर्तों पर ज़िंदगी जीने की चाह।
40. नैतिक मूल्य:
पहले: ईमानदारी, सच्चाई, दूसरों की मदद करना।
अब: कई बार स्वार्थ, भ्रष्टाचार, दिखावे की ज़िंदगी।
41. सेवानिवृत्ति की उम्र:
पहले: 58 की उम्र में रिटायरमेंट, आराम की जिंदगी।
अब: 60 के बाद भी काम करना, आर्थिक सुरक्षा के लिए ज़रूरी।
42. विज्ञापन का तरीका:
पहले: अखबार, मैगज़ीन, टीवी पर विज्ञापन।
अब: सोशल मीडिया, मोबाइल ऐप्स, पर्सनलाइज्ड विज्ञापन।
43. लिंग पहचान:
पहले: सिर्फ पुरुष और महिला, दो ही लिंग पहचान।
अब: ट्रांसजेंडर, जेंडर फ्लूइड, नॉन-बाइनरी जैसी पहचान को मान्यता।
44. मानव और रोबोट का रिश्ता:
पहले: रोबोट सिर्फ फिल्मों में, साइंस फिक्शन की बात।
अब: रोबोट रेस्तरां में खाना परोस रहे हैं, घरों में काम कर रहे हैं।
45. यात्रा के मकसद:
पहले: धार्मिक स्थलों की यात्रा, परिवार के साथ छुट्टियां।
अब: एडवेंचर ट्रिप, सोलो ट्रैवल, नई जगहों को एक्सप्लोर करना।
46. गोपनीयता की चिंता:
पहले: निजी ज़िंदगी की गोपनीयता, चिट्ठियां और डायरियां।
अब: ऑनलाइन डेटा चोरी, सोशल मीडिया पर सब कुछ शेयर करने का चलन।
47. हस्तशिल्प का महत्व:
पहले: हाथ से बनी चीज़ों की कद्र, कारीगरों का सम्मान।
अब: मशीन मेड सामान, हस्तशिल्प की घटती मांग।
48. शिक्षा का उद्देश्य:
पहले: डिग्री हासिल करना, नौकरी पाना मुख्य लक्ष्य।
अब: स्किल डेवलपमेंट, प्रैक्टिकल नॉलेज, खुद का बिज़नेस शुरू करने का ट्रेंड।
49. न्यूज़ का मतलब:
पहले: अखबार, टीवी पर न्यूज़ देखना, भरोसेमंद जानकारी।
अब: फेक न्यूज़, सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरें, सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल।
50. भविष्य की चिंता:
पहले: बच्चों की शादी, परिवार की देखभाल की चिंता।
अब: जलवायु परिवर्तन, आर्थिक मंदी, नौकरी की सुरक्षा की चिंता।
समय के साथ ये सफर जारी रहेगा...
ये 50 बातें एक छोटी सी कोशिश है, समय के साथ बदलते समाज को समझने की। ये बदलाव हमें अतीत से जोड़ते हैं, वर्तमान की समझ देते हैं, और भविष्य की झलक दिखाते हैं। ये हमें याद दिलाते हैं कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है।
आपको क्या लगता है? क्या आपने भी अपने आसपास ऐसे बदलाव देखे हैं? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं।
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