Thursday, September 12, 2024

साहस और बुद्धि की कहानी! Story of Courage and Wisdom in Hindi

चतुर कौआ और दुष्ट सर्प: साहस और बुद्धि की कहानी

घने जंगल में, एक विशाल बरगद का पेड़ था, जिस पर कौआ और कव्वी का जोड़ा रहता था। उसी पेड़ के खोखले तने में एक दुष्ट सर्प छिपा रहता था। हर साल, जब कव्वी अंडे देती, सर्प मौका पाकर उन्हें निगल जाता।

एक दिन, कौआ और कव्वी जल्दी भोजन लेकर लौटे, तो उन्होंने सर्प को उनके अंडों पर झपटते देखा। दुखी कौआ बोला, "डर मत, प्रिय। अब हमें दुश्मन का पता चल गया है। हम ज़रूर उपाय ढूंढेंगे।"

सोच-समझकर, कौए ने पहले वाले घोंसले को छोड़कर, ऊपर की टहनी पर नया घोंसला बनाया। उसने कव्वी को समझाया, "यहाँ अंडे सुरक्षित रहेंगे। ऊपर चील मंडराती है, जो सर्प की दुश्मन है। सर्प यहाँ आने का साहस नहीं करेगा।"

कव्वी ने नए घोंसले में अंडे दिए और बच्चे भी निकल आए। सर्प ने खाली घोंसला देखकर सोचा कि कौआ-कव्वी शायद डरकर चले गए हैं। परंतु, वह उनकी गतिविधियों पर नज़र रखता रहा। उसने देखा कि कौआ-कव्वी उसी पेड़ पर आते-जाते हैं, और उसे समझ में आ गया कि उन्होंने ऊपर नया घोंसला बना लिया है।

एक दिन, सर्प ने कौओं का नया घोंसला ढूंढ लिया। घोंसले में तीन नवजात बच्चे थे। दुष्ट सर्प ने उन्हें एक-एक करके निगल लिया और वापस अपने खोह में चला गया। कौआ और कव्वी लौटे तो खाली घोंसला देखकर स्तब्ध रह गए। टूटे घोंसले और बिखरे पंखों को देखकर उन्हें सारी बात समझ में आ गई। कव्वी दुःख से विह्वल हो उठी और बोली, "क्या हर साल मेरे बच्चे सर्प का भोजन बनते रहेंगे?"

कौआ बोला, "नहीं! यह सच है कि हमारे सामने बड़ी समस्या है, लेकिन भागना इसका समाधान नहीं है। विपत्ति में ही मित्र काम आते हैं। हमें लोमड़ी मित्र से सलाह लेनी चाहिए।"

दोनों तुरंत लोमड़ी के पास गए। लोमड़ी ने उनकी दुखद कहानी सुनी और उनके आँसू पोंछे। सोचने के बाद, लोमड़ी ने कहा, "दोस्तों! आपको पेड़ छोड़ने की ज़रूरत नहीं है। मेरे दिमाग में एक योजना है, जिससे हम उस दुष्ट सर्प से छुटकारा पा सकते हैं।"

लोमड़ी ने अपनी चतुर योजना बताई, जिसे सुनकर कौआ-कव्वी खुशी से झूम उठे। उन्होंने लोमड़ी का धन्यवाद किया और घर लौट आए।

अगले दिन, योजना को अंजाम देने का समय था। जंगल में एक विशाल सरोवर था, जहाँ कमल और नरगिस के फूल खिले रहते थे। हर गुरुवार, उस प्रदेश की राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ वहाँ जल-क्रीड़ा करने आती थी। उनके साथ अंगरक्षक और सैनिक भी रहते थे।

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राजकुमारी सरोवर में स्नान करने जल में उतरी तो योजना के अनुसार कौआ उड़ता हुआ वहां आया। उसने सरोवर तट पर राजकुमारी तथा उसकी सहेलियों द्वारा उतारे गए कपड़ों और आभूषणों पर नजर डाली। कपड़ों के ऊपर राजकुमारी का प्रिय हीरे और मोतियों का अद्वितीय हार रखा था। कौआ ने राजकुमारी तथा उसकी सहेलियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ‘कांव-कांव’ का शोर मचाया।

जब सबकी नजर उसकी ओर घूमी, तो कौआ राजकुमारी का हार चोंच में दबाकर ऊपर उड़ गया। सभी सहेलियां चीखने लगीं, 'देखो, देखो! वह राजकुमारी का हार उठाकर ले जा रहा है।' सैनिकों ने ऊपर देखा तो सचमुच एक कौआ हार लेकर धीरे-धीरे उड़ता जा रहा था। सैनिक उसी दिशा में दौड़ने लगे। कौआ सैनिकों को अपने पीछे लगाकर धीरे-धीरे उड़ता हुआ उसी पेड़ की ओर ले आया।

जब सैनिक कुछ ही दूर रह गए, तो कौए ने राजकुमारी का हार इस प्रकार गिराया कि वह सांप वाले खोह के भीतर जा गिरा। सैनिक दौड़कर खोह के पास पहुंचे। उनके सरदार ने खोह के भीतर झांका। उसने वहां हार और उसके पास में ही एक काले सर्प को कुंडली मारे देखा।

वह चिल्लाया, 'पीछे हटो! अंदर एक नाग है।' सरदार ने खोह के भीतर भाला मारा। सर्प घायल हुआ और फुफकारता हुआ बाहर निकला। जैसे ही वह बाहर आया, सैनिकों ने भालों से उसके टुकड़े-टुकड़े कर डाले।

इस प्रकार कौवा ने अपनी सूझबूझ और लोमड़ी की मदद से सांप से छुटकारा पा लिया, ये देख के कव्वी बहुत खुश हुई क्योंकि अब उसके बच्चे सुरक्षित रहेंगे।

कौए और सांप की कहानी से हम कई सीख ले सकते हैं:

बुद्धि और चतुराई का महत्व: कहानी में कौआ अपनी चतुराई का इस्तेमाल करके दुष्ट सांप से बदला लेता है. यह हमें सिखाता है कि किसी भी मुश्किल परिस्थिति से निकलने के लिए बल से ज्यादा बुद्धि और चतुराई काम आती है।

समस्या का समाधान ढूंढना: कौआ और कौव्वी मिलकर सांप से निपटने का उपाय सोचते हैं. यह हमें सिखाता है कि समस्याओं से घबराना नहीं चाहिए बल्कि शांत दिमाग से उसका हल ढूंढना चाहिए.

सहयोग की ताकत: कौआ और कौव्वी मिलकर काम करते हैं. यह हमें सिखाता है कि किसी भी मुश्किल को अकेले लड़ने से ज्यादा मिलकर आसानी से हराया जा सकता है.

कमजोर भी जीत सकता है: कहानी में छोटा सा कौआ बड़े और खतरनाक सांप को हरा देता है. यह हमें सिखाता है कि ताकत ही सब कुछ नहीं होती, बुद्धि से कमजोर भी ताकतवर को हरा सकता है.

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