The Jackal and the Drum Story: बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से पंचतंत्र की कहानी (सियार और जादुई ढोल की कहानी) Siyar aur Jaadui Dhol ki Kahani एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।
तो यहां हम आपको वहीं Siyar aur Jaadui Dhol Ki Kahani (सियार और जादुई ढोल की कहानी) बताने वाले है। तो इस The Jackal and the Drum Story in Hindi को अंत तक जरूर पढ़ें।
सियार और जादुई ढोल की कहानी – The Jackal and the Drum
एक समय की बात हैं, एक जंगल में बड़ा ही चालाक, और शातिर सियार रहता था, वो जंगल के हर छोटे और कमजोर जानवर को पकड़ कर खा जाया करता था. सारे जानवर उस से परेशान हो चुके थे, पर वे जहाँ भी छुपते तो वो सियार कोई ना कोई युक्ति लगाकर उन्हे ढूंढ ही लेता और खा जाता।
एक दिन खरगोश मिलकर आपस में बात करने लगे, और सोचने लगे की कैसे इस सियार से छुटकारा पाया जाए पर उन्हें कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।
दिन प्रति दिन उस सियार का आंतक बढ़ता ही जा रहा था, एक दिन जंगल में, जोर से किसी, ढोल बजने की आवाज आने लगी, सारे जानवर सोच में पढ़ गए की, जंगल में आखिर ढोल बजा कौन रहा हैं? किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तो सब ने सोचा की वो ढोल के आवाज का पीछा करेंगे और पता लगाएंगे की आखिर ये सब हो क्या रहा हैं?
सारे जानवर मिलकर उस ढोल की आवाज का पीछा करने लगे और उनके पीछे पीछे चालाक सियार भी उनका पीछा करने लगा, जब वे सब जंगल के अंदर पहुंचे तो उन्होंने देखा की, ढोल वहीँ था पर वो अपने आप कैसे बज रहा था। किसी को समझ नहीं आया, शायद वो कोई जादूई ढोल हैं, एक चूहे ने कहा, हाँ मुझे भी ऐसा ही लग रहा हैं, चूहे की बात को हामी देते हुए एक खरगोश ने कहा।
सारे जानवरो ने ये तय किया की, वो ढोल को करीब से देखकर पता लगाएंगे की, आखिर ये जादूई ढोल यहाँ आया कैसे ? और सब सारे जानवर उस जादूई ढोल के पास पहुंचे तो सब, हैरान रह गए, क्यूंकी उस ढोल के अंदर बहोत सारे मीठे मीठे फल भरे पढ़े थे, सारे जानवर ये देखकर बहोत ज्यादा खुश हो गए।
चूहे ने झूमते हुए कहा की, हमारे हाथ तो खजाना लग गया हैं, अब उन्हें कभी भी खाने की कमी नहीं होगी, सारे जानवर ख़ुशी से झूमने लगे, पर उन्हें कहाँ पता था की, वो चालाक सियार उनकी सारी बातें सुन रहा था, और वो तो उस जादूई ढोल को चुराने की योजना भी बना चुका था।
वो बस इस मौके की फिराक में था की कब ये सारे जानवर सो जाए, और उसे मौका मिल जाए उस जादूई ढोल को चुराने का, और उसे वो मौका रात को ही मिल गया, सारे जानवर उस जादूई ढोल के मीठे मीठे फल खाकर चैन की नींद सो गए।
सियार ने जब देखा की अब ढोल के आस पास कोई नहीं, तब वो जादूई ढोल के पास गया और उसे चुराने के लिए उसे उठाने लगा, उसने जैसे ही उस जादूई ढोल को उठाया, तो उसके नीचे एक झाल बिछा हुआ था, उसमें फास कर रह गया, सियार अब झाल में फस चुका था और उसे फसा हुआ देखर सारे जानवर बाहर आ गए, नाचने लगे क्यूंकी उन सबने मिलके ये जादूई ढोल का झाल बिछाया था जिसमें सियार फस गया।
सारे जानवरो ने झाल सहित सियार को नदी के उस पार फेंक दिया जहाँ से वो कभी यहाँ ना आ सके और उस दिन से सारे जानवर, बेखौफ जंगल में रहने लगे।
शिक्षा (Moral of Story)
इस सियार और जादुई ढोल की कहानी (Siyar aur Jaadui Dhol ki Kahani) से हमें यह सीख मिलती है कि, हमें ज़्यदा लालच नहीं करना चाहिए क्योंकि लालच आपकी बुद्धि और चालाकी को भी खा जाती हैं।
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