Disney cinerell story in hini दोस्तों बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको परियों (firy tle) की कहानियां सुनी है। जिसमें से सिंड्रेला की कहानी (cinerell story) एक ऐसी कहानी थी जो लगभग सभी की फेवरेट हुआ करती थी।
आप मानो या न मानो पर हर लड़की को अपने राजकुमार (prince chrm) का इंतजार होता है, जो घोड़ी में आकर उसे ले जाये। लगभग सभी लड़कियां यही सपने देखकर बड़ी होती है। सिंड्रेला भी ऐसी ही लड़की थी, जो बचपन से अपने राजकुमार का इंतजार करती आ रही थी। सिंड्रेला की हालात बहुत ख़राब एवं मजबूरी भरी थी तब भी उसने यह सपना देखना नहीं छोड़ा था।
सिंड्रेला की जीवन में एक परी आती है, जो उसके लाइफ को चेंज कर देती है, उसे उसके राजकुमार से मिलाती है। चलिए आज आपको परियों की दुनिया में लेकर चलते है और आपको सिंड्रेला और उसके राजकुमार से मिलाते है। तो इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़ना।
कहानी के मुख्य पात्र
- सिंड्रेला
- राजकुमार
- सिंड्रेला की सौतेली माँ
- व्यापारी (सिंड्रेला का पिता)
- सिंड्रेला की सौतेली बहने
- जादूगरनी
डिस्नी सिंड्रेला की कहानी – Cinerell Khni
प्राचीन समय की बात है। किसी राज्य में एक व्यापारी रहा करता था। उसकी एक छोटी सी बेटी थी, जिसका नाम एला भा। एला बहुत ही खूबसूरत एवं प्यारी बच्ची थी। उसके माता-पिता उससे बहुत ही ज्यादा प्यार करते था। उसकी मां एला की सारी ज़रूरतें पूरी करते थे। एला की मां की अचानक मृत्यु हो गई तब से उसकी ज़िन्दगी में एक चीज़ की कमी थी वह थी, उसकी माँ जो उसे छोड़ कर भगवान् के पास चली गयी थी।
एला की इस कमी को पूरा करने के लिए उसके पिता ने दूसरी विवाह कर ली। उसके पिता से जिससे शादी की थी उस महिला की दो बेटियाँ थीं। एला बहुत खुश थी कि माँ के साथ-साथ उसे दो बहने भी मिल गयी थी। एला की दोनों सौतेली बहने बहुत घमंडी थी, पर एला उन दोनो से बहुत प्रेम करती थी इसके अलावा वो अपनी नयी माँ को भी बहुत प्रेम करती थी।
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कुछ समय बाद ही एला के ऊपर एक और मुसीबत आ गई। जब एक दिन जब उसके पिता किसी काम से दूसरे शहर गए, लेकिन वो फिर कभी वापस नहीं आए। पिता का साया सर से उठते ही उसकी सौतेली माँ और बहने उसके घर की मालकिन हो गई और एला के साथ नौकरों जैसा बर्ताव करने लगीं।
एला पर तो मानो मुश्किलों का पहाड़ टूट गया हो। जब उसकी सौतेली मां ने घर के सारे नौकरों को निकाल दिया और अब से घर का सारा काम एला से से करवाने लगी। उसकी मां और बहनों ने उसे उसके कमरा से निकाल कर उसे एक कोठरी में रहने के लिए छोड़ दिया। उसकी बहने नया-नया कपड़े पहनते और एला को अपनी पुराने कपड़े और जूते पहनती।
एला सारा दिन काम कर करके थक जाती थी तब तो अंगीठी के पास ही सो जाया करती। अकसर एला जब सुबह उठती तो अंगीठी की राख (सिंडर) उस पर पड़ी होती भी। उसकी दोनो सौतेली बहनें उसे सिंडर-एला कह के चिढ़ाती थी, इस तरह उसका नाम एला से सिंडरेला (सिंड्रेला) हो गया।
एक दिन पूरे राज्य में एक ऐलान हुआ कि राज महल में एक बहुत बड़ा आयोजन है और इस आयोजन में राज्य की सभी लड़कियों को गया था ताकि वहां के राजकुमार अपनी पसंद की लड़की की पसंद करके उससे शादी कर सके। यह सुनकर पूरे राज्य की लड़कियां बहुत उत्साहित एव खुश थीं।
इस आयोजन में सिंड्रेला और उसकी दोनों सौतेली बहने भी जाने के लिए उत्साहित थी। पर सिंड्रेला की खुशी उसकी सौतेली माँ को बिलकुल रास नहीं आई इसलिए उसने सिंड्रेला को महल में जाने से मना कर दिया। यह सुनकर सिंड्रेला बहुत दुःखी हुई और वो बेचारी फिर अपने काम में लग गयी और सोचती रही, कि राजकुमार देखने में कैसा होगा और उसकी बहनें क्या कर रही होगी।
Cinerell n Angle ( सिंडरेला और जादूगरनी)
सिंड्रेला जब इन राजमहल की ख्यालों में खोई हुई थी, तभी वहां एक जादूगरनी आई। जादूगरनी ने सिंड्रेला को बहुत दुःखी देखा तो सिंड्रेला की मदद करनी चाही। सिंड्रेला ने अपनी सारी दखभरी बातें जादूगरनी को बताई। तब जादूगरनी ने सिंड्रेला से कहा, “ओह! प्यारी सिंड्रेला, मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूं। ” यह वाक्य कहकर उस जादूगरनी ने अपनी छड़ी घुमाई और वहां पड़े एक बड़े से कद्दू को एक बग्घी मे बदल दिया। वहीं आस-पास चार चूहे उछल कूद कर रहे थे, जादूगरनी की नज़र उन चूहों पर पड़ी तो उसने अपनी जादुई छड़ी से चूहों को घोड़ा बना दिया।
उसके बाद जादूगरनी ने चारों तरफ नज़र घुमाई तो उसे एक मेंढक दिखा तब फिर से उसने अपनी जादुई छड़ी से उस मेंढ़क को कोचवान में बदल दिया। सिंड्रेला यह सब देख हैरान हो रही थी उसे अपनी आंखो पर यकीन नहीं हो रहा था। तभी जादूगरनी उसकी तरफ मुड़ी और अपनी जादू की छड़ी घुमा कर सिंड्रेला के मटमैले और फटे हुए कपड़े साफ और सुंदर हो गए। उसके पैरों में टूटी-फूटी चप्पल की जगह सुंदर कांच की जूती आ गई।
अब सिंड्रेला पूरी तरह राजमहल मे जाने के लिए पूरी तरह तैयार थी। जादूगरनी ने प्यार से सिंड्रेला को राजमहल के लिए विदा करते हुए कहा, “बेटी, तू अपनी इच्छा पूरी कर ले, लेकिन याद रखना रात 1 बजते ही यह सारा जादू खत्म हो जाएगा।”
Cinerell n his Prince Chrm (सिंड्रेला और राजकुमार)
सिंड्रेला के राजमहल पहुंचते ही सबकी नज़रे उसी को देखने लगी क्योंकि वह बहुत ही सुंदर लग रही थी। सिंड्रेला की खूबसूरती को देखकर राजकुमार ने जब उसके साथ डांस करना चाहा तो सिंड्रेला की दोनों सौतेली बहनों के साथ साथ वहां मौजूद सभी लड़कियां सिंड्रेला से बहुत जलने लगीं।
राजकुमार ने सिंड्रेला देखते ही फैसला कर लिया था कि वह इसी से विवाह करेगा। सिंड्रेला भी राजकुमार के प्रेम में ऐसी खो गई कि उसे जादूगरनी की बात याद ही नही रही। देखते ही देखते 1 बज गए। घंटी बजते ही सिंड्रेला को अचानक याद आया कि 1 बजे के बाद जादू समाप्त हो जाना था। सिंड्रेला बिना राजकुमार को कुछ कहे वहां से भाग गई। क्योंकि वह नही चाहती थी कि राजकुमार उसे उसके गंदे एवं फटे कपड़ो मे देखे। राजकुमार ने बहुत कोशिश की सिंड्रेला को ढूँढने की लेकिन वह उसे कहीं नही मिली। लेकिन राजकुमार सिंड्रेला को भूल नही पा रहा था।
राजकुमार ने पूरे राज्य मे ऐलान कराया कि जिस भी लड़की के पैर मे वह कांच की जूती आएगी, राजकुमार उसी से विवाह करेंगे। राज्य की सभी लड़कियां राजकुमार से शादी करना चाहती थी। इसलिए सभी लड़कियों ने अपने आप को उस कांच की जूती की मालकिन बताने लगी। सभी लड़कियों के घर जा जा कर उन्हें वो कांच की जूती पहनाई गयी लेकिन उनमें से किसी भी लड़की के पैर में वह नही आई। सिंड्रेला की दोनों सौतेली बहनों ने भी पूरी कोशिश की जूती पहनने की लेकिन उन्हें भी जूती नहीं हुआ। उ
सके बाद अब सिंड्रेला की बारी थी वो जूती पहनने की सबकी नजरें सिंड्रेला पर रुक गयीं। सिंड्रेला ने जब उस कांत की जूती को पहना तो वह जूती उसके पैर मे एकदम सही तरीके से आ गयी जैसे वी जूती उसी के लिए बनी हो। यह सब देखकर उसकी सौतेली माँ और दोनो बहनें हैरान हो गयीं। राज्य के किसी भी राज्यवासियों को यह बिलकुल भी उम्मीद नही थी कि वह खूबसूरत लड़की सिंड्रेला हो सकती है।
जूती पैर मे आने के बाद जब राजकुमार ने सिंड्रेला से विवाह के लिए पूछा तो सिंड्रेला बहुत ज्यादा खुश हो गई और उसने खुशी खुशी राजकुमार को हाँ कर दी। अगले ही दिन बड़ी धूम धाम के साथ सिंड्रेला की शादी राजकुमार से हो गयी। राजकुमार और सिंड्रेला एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे और वहीं दूसरी तरफ सिंड्रेला की सौतेली माँ और दोनों बहनों को सिंड्रेला के साथ बुरा व्यवहार करने की सज़ा के रूप मे राज्य छोड़कर जाने की सजा दी गई इसलिए उन तीनों को राज्य छोड़कर जाना पड़ा।
सिंड्रेला की कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि दयालुता, विनम्रता और आंतरिक सुंदरता बाहरी दिखावे या सामाजिक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा यह कहानी हमें यह सिखाती है कि बुरी से बुरी परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद सिंड्रेला की अच्छाई हमेशा कायम रहती है। इसके अतिरिक्त, कहानी इस विश्वास को दर्शाता है कि जो व्यक्ति स्वयं के प्रति सच्चे एवं निष्ठावान रहते हैं और कठिन से कठिन समय में भी डटे रहते हैं, उन्हें अपना पुरस्कार अवश्य मिलता है।
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