सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए सुनिश्चित पेंशन को मंजूरी दे दी है। 1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में शामिल होने वाले सरकारी कर्मचारियों को NPS के तहत वेतन का 50 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित पेंशन के रूप में दिया जाएगा। सरकारी कर्मचारियों की काफी समय से लंबित मांगों को पूरा करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एकीकृत पेंशन योजना (यूनिफाइड पेंशन स्कीम or UPS) को मंजूरी दी गई और इसी के तहत सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान किया गया है।
1 अप्रैल 2004 से देश में नेशनल पेंशन सिस्टम यानि NPS को लागू किया गया था। इसे न्यू पेंशन स्कीम भी कहा जाता है। उससे पहले देश में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू थी, जिसे NPS से रिप्लेस किया गया। लेकिन कई राज्यों को यह स्कीम पुरानी पेंशन स्कीम के मुकाबले कम फायदेमंद लग रही थी। इसी के चलते हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसे राज्य OPS पर वापस लौट गए हैं।
सरकारी कर्मचारियों को 1 अप्रैल 2025 से UPS में स्विच करने का विकल्प दिया जाएगा। उन्हें एरियर का भुगतान भी किया जाएगा। आइए जानते हैं यूनिफाइड पेंशन स्कीम, ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम से कैसे अलग है.
OPS
पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन मिलती थी। इसके तहत कर्मचारी को अपने अंतिम वेतन के मूल वेतन की 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में मिलने का प्रावधान था। सुनिश्चित पेंशन के लिए उसे स्कीम में कुछ भी कॉन्ट्रीब्यूशन नहीं देना होता था। इस स्कीम में रिटायर हुए कर्मचारी की मौत के बाद उसके फैमिली मेंबर्स को भी पेंशन दी जाती थी। साथ ही, सरकारी कर्मचारियों के वेतन की तरह, सरकार द्वारा सेवारत कर्मचारियों के लिए घोषित महंगाई भत्ते या DA में बढ़ोतरी के साथ पेंशनभोगियों की पेंशन में भी वृद्धि होती थी। महंगाई भत्ता या डीए एक प्रकार का एडजस्टमेंट है, जो सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को रहने की लागत (कॉस्ट ऑफ लिविंग) में लगातार वृद्धि के लिए देती है।
ओल्ड पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के बाद मेडिकल भत्ते और मेडिकल बिलों के रिइम्बर्समेंट की सुविधा भी थी। इस स्कीम में रिटायर्ड हुए कर्मचारी को 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम दी जाती थी।
NPS
NPS, आर्म्ड फोर्सेज को छोड़कर उन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू है, जो 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद सरकारी कर्मचारी बने। यह प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी उपलब्ध है। NPS में कर्मचारियों को बेसिक सैलरी+DA का 10 प्रतिशत योगदान देना होता है। राज्य कर्मचारियों के मामले में इतना ही योगदान राज्य सरकार की ओर से जाता है। केंद्रीय कर्मचारियों के मामले में केंद्र सरकार की ओर से NPS में योगदान 14 प्रतिशत है। वहीं कॉरपोरेट सेक्टर में कर्मचारी की ओर से NPS में योगदान 50,000 रुपये, जबकि एंप्लॉयर की ओर से कर्मचारी की बेसिक सैलरी+ DA का 10 प्रतिशत है। जुलाई में पेश हुए पूर्ण बजट 2024 में NPS में एंप्लॉयर की ओर से किए जा रहे योगदान को कर्मचारी के वेतन के 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया गया।
इस स्कीम में पेंशन बाजार की अनिश्चितताओं पर निर्भर होती है। NPS के तहत रिटायरमेंट के बाद या मैच्योरिटी के वक्त या 60 वर्ष की उम्र पर पहुंचने पर, कर्मचारी को कुल फंड के मिनिमम 40 प्रतिशत से एन्युइटी प्लान लेना होता है, जो रेगुलर इनकम का जरिया बनता है। एन्युइटी इनकम ही पेंशन कहलाती है। 60 प्रतिशत फंड एकमुश्त निकाला जा सकता है। NPS के अंतर्गत पारिवारिक पेंशन, पेंशन फंड में संचित धनराशि और रिटायरमेंट के समय चुने गए एन्युइटी प्लान पर निर्भर करती है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)
UPS के तहत सरकारी कर्मचारी अब रिटायरमेंट से पहले अंतिम 12 महीनों में मिले औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में पाने के हकदार होंगे। केंद्र सरकार के कर्मचारियों की ओर से स्कीम में योगदान 10 प्रतिशत ही रहेगा। सरकार की ओर से योगदान 18.5 प्रतिशत होगा। पेंशन के रूप में वेतन का 50 प्रतिशत पाने के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 25 वर्ष होनी चाहिए। न्यूनतम 10 साल तक की सेवा अवधि के लिए आनुपातिक रूप से पेंशन दी जाएगी। न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद रिटायरमेंट पर 10,000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की गारंटी भी है।
पेंशन, बाजार की स्थितियों पर निर्भर नहीं करेगी। इसके अलावा UPS में मृतक कर्मचारी के जीवनसाथी को एक सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन दी जाएगी। सुनिश्चित पेंशन, सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन का अमाउंट, इनफ्लेशन इंडेक्स के अनुसार बढ़ेगा। कार्यरत कर्मचारियों की तरह औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI-IW) के आधार पर महंगाई राहत दी जाएगी। कर्मचारी, रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी के अलावा एकमुश्त रकम के पात्र होंगे।
ओपीएस(OPS) की खास बात
रिटायरमेंट के दौरान कर्मचारी को उनकी आखिरी सैलरी के 50 फीसदी के बराबर पेंशन दिए जाने का प्रावधान था.
कंट्रीब्यूशन: पेंशन की पूरी लागत केंद्र सरकार वहन करती थी. इसका मतलब ये कि ओपीएस के तहत कर्मचारियों को पेंशन में अपना कंट्रीब्यूशन नहीं देना होता था.
पात्रता: OPS सिर्फ उन सरकारी कर्मचारियों पर लागू होता है जो 1 जनवरी, 2004 से पहले नौकरी में शामिल हुए हैं.
अडजस्टमेंट: पेंशन को महंगाई भत्ते (DA) में होने वाले बदलावों के मुताबिक, समय-समय पर अडजस्ट किया जाता है, जो महंगाई से जुड़ा होता है
टैक्स: OPS के तहत मिलने वाली पेंशन पर कोई टैक्स नहीं देना होता था. हालांकि, एनपीएस और यूपीएस में टैक्स का प्रावधान किया गया है.
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